कोई भी व्यक्ति अपने जीवनकाल में अपनी संपत्ति के संबंध में कहीं भी वसीयत कर सकता है। एक व्यक्ति की स्वयं अर्जित संपत्ति के संबंध में वह व्यक्ति वसीयत से संबंधित कोई भी निर्णय ले सकता है। यह भी ज़रूरी नहीं है कि वसीयत किसी ब्लड रिलेशन में ही की जाए। वसीयत का एक्जीक्यूशन वसीयत करने वाले व्यक्ति की मौत के बाद होता है। यदि वसीयत करने वाले व्यक्ति की मौत हो गई है तब जिस व्यक्ति के हित में वसीयत की गई है वह वसीयत के एक्जीक्यूशन का दावा कर सकता है।एक तरह से देखें तो वसीयत का एक्जीक्यूशन ही प्रोबेट होता है। प्रोबेट एक सर्टिफिकेट होता है जो अदालत द्वारा किसी वसीयत के संबंध में जारी किया जाता है। एक तरह का ऑर्डर होता है जिसमें अदालत किसी वसीयत के एक्जीक्यूशन के संबंध में घोषणा करती है। हमारे देश में वसीयत कोरे कागज पर भी की जा सकती है और वसीयत वही मान्य होती है जो अंतिम वसीयत होती है। अंतिम वसीयत उस वसीयत को कहा जाता है जो वसीयत करने वाले व्यक्ति की मौत से ठीक पहले की है। Also Read - भारत का संविधान और आपातकाल वसीयत के प्रोबेट से संबंधित प्रावधान भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम,1925 के अंतर्गत मिलते हैं जहां अधिनियम की धारा 264 से लेकर धारा 300 तक प्रावधान हैं जो प्रोबेट के उल्लेख से लेकर प्रोबेट प्राप्त करने तक प्रक्रिया का उल्लेख करते हैं। प्रोबेट कैसे प्राप्त होता है प्रोबेट प्राप्त करने का दावा वह व्यक्ति कर सकता है जिसके हित में वसीयत लिखी गई है। ऐसा व्यक्ति एक व्यक्ति भी हो सकता है एवं अनेक व्यक्ति भी हो सकते हैं। प्रोबेट प्राप्त करने का आवेदन भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 276 के अंतर्गत करना होता है। ऐसा आवेदन वहां का करना होता है जहां संपत्ति का क्षेत्राधिकार है। ऐसे आवेदन में जिस व्यक्ति के हित में वसीयत लिखी गई है वह वादी होता है और संपत्ति को वसीयत करने वाले व्यक्ति के अन्य वारिस प्रतिवादी बनाएं जाते हैं उनके साथ सर्वसाधारण को भी पार्टी बनाया जाता है। Also Read - उपभोक्ता फोरम में किस तरह के केस लगाएं जा सकते हैं और क्या है इसकी प्रक्रिया ऐसा आवेदन अदालत के समक्ष प्रस्तुत करने के साथ ही समाचार पत्रों में भी ज़ाहिर सूचना प्रकाशित करवाई जाती है जिससे यह स्पष्ट हो जाए की उस संपत्ति के संबंध में किसी अन्य व्यक्ति का तो कोई हक हित नहीं है। यदि वसीयत के संबंध में कोई विरोध नहीं होता है तब अदालत संक्षिप्त विचारण की प्रक्रिया को अपना कर वादी को वसीयत का प्रोबेट जारी कर देती है और राज्य की कोर्ट फीस के अनुसार कोर्ट फीस जमा करवाई जाती है। यह याद रखा जाना चाहिए कि प्रोबेट के वाद में कोर्ट का भुगतान प्रोबेट जारी के करने के ऑर्डर होने के बाद करना होता है। यदि वसीयत के संबंध में कोई विवाद आपत्ति जैसी कोई चीज़ होती है तो अदालत ऐसे विवाद का निपटारा पहले करती है। ऐसा निपटारा एक सिविल वाद की तरह ही होता है और वही प्रक्रिया प्रोबेट के मामले में भी लागू की जाती है।
Public Data Entry (Epayment of Registration Fee With Appointment Scheduler/ Epayment_of_Application_Fee)
STAMP DUTY CALCULATOR
REGISTRATION FEES CALCULATOR
View And Print Your Uploaded Document
INDEX-2 FOR VIEW ONLY
VIEW APPOINMENT CHART
SERCH YOUR PROPERTY TITAL
KNOW YOUR PROPERTY JANTRY RATE
SAMPLE DOCUMENT DRAFT
CONTACT OFFICE
ALL GUJARAT STAMP CENTER LIST
questions regarding sub registrar office
E CHALAN-STAMP/REGISTARTION FEES REFUND CHEK LIST
Subscribe to:
Posts (Atom)
ફ્લેટમાં ભેજ લાગે તો બિલ્ડર જવાબદાર, પઝેશનના 5 વર્ષ સુધી જવાબદારી', અહીંયા કરો ફરિયાદ.
ફ્લેટમાં ભેજ લાગે તો બિલ્ડર જવાબદાર, પઝેશનના 5 વર્ષ સુધી જવાબદારી', અહીંયા કરો ફરિયાદ . Download RERA Rules here Share Facebook Twitt...
-
જમીન સરકાર હસ્તક ગઈ હોય તો કેવી રીતે પરત મેળવવી ? for pdf click here જો તમને આર્ટિકલ પસંદ આવ્યો હોઈ તો લાઈક કરી શેર જરૂર કરજ...
-
પડોશીએ ગેરેકાયદેસર રીતે દબાણ કરી બાંધકામ કર્યું હોય તો શુ કરવું ?? if you have liked the article please share it and follow me.
-
ગુજરાત જમીન મહેસુલ નિયમો 1972(ગુજરાતી અનુવાદ) for pdf clik here
-
ખેતીની જમીનમાં / વારસાઈ, ખાતેદારના મૃત્યુ પહેલાં, વહેંચણી, હયાતીમાં હક્ક દાખલ / કમી વિગેરેની જોગવાઈઓખેતીની જમીનમાં / વારસાઈ, ખાતેદારના મૃત્યુ પહેલાં, વહેંચણી, હયાતીમાં હક્ક દાખલ / કમી વિગેરેની જોગવાઈઓ લોકાભિમુખ માર્ગદર્શન - એચ.એસ. પટેલIA...
-
વિલ નહિ બનાવ્યું હોય તો તમારા સંતાન ને તમારી મિલકતમાંથી કાઈ નહિ મળે....50 થી 60 વર્ષની કોઈ પણ મિલકત ધરાવતી વ્યક્તિએ વિલ એકવાર તો અચૂક બનાવ...