12.29.2018

અનુસૂચિત જનજાતિ (આદિવાસી ) વ્યક્તિ ને હિન્દૂ વારસા ધારો લાગુ પડતો નથી.


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"चंदन की खेती कैसे करें.?? "

"चंदन की खेती कैसे करें.?? "

चंदन की खुशबू हर किसी का मन मोह लेती है। आंतरराष्ट्रीय बाजार मे बेहद बढती मांग और सोने जैसे बहुमुल्य समझे जाने वाले चंदन की ऊंची कीमत होने के कारण भविष्य मे चंदन की खेती करना बहुतलाभप्रद व्यवसाय साबित हो सकता है। और देशो के तुलनामे भारत मे पाये जानेवाले चंदन के पेड मे खुशबु और तेल का प्रमाण (1% से 6%) सबसे ज्यादा है। ईसीवजह से भारतीय चंदन को आंतरराष्ट्रीय बाजार मे बडी मांग है। भारत मे चंदन रसदार लकड़ी (Hart wood) कि किमत 5000 से 12000 रुपये प्रती कीलो है। बारीक लकडी 500 रुपये कीलो है।

पौधे का परिचय (Introduction):
सामान्य नाम : चंदन,
वैज्ञानिक नाम : Santalum Album linn.
श्रेणी : सुगंधीय,




उपयोग :

चंदन का उपयोग तेल इत्र, धूप औषधी और सौंदर्य प्रसाधन के निर्माण में और नक्काशी में इसका उपयोगकिया जाता है। चंदन तेल, चंदन पाउडर, चंदन साबुन, चंदन इत्र.

उपयोगी भाग :

लकड़ी, बीज, जड़ और तेलउत्पति.

          यह मूल रुप से भारत में पाये जाने वाला पौधा है। भारत के शुष्क क्षेत्रों विंध्य पर्वतमाला से लेकर दक्षिण क्षेत्र विशेष रूप से कर्नाटक और तमिलनाडु में में पाया जाता है। महाराष्ट्र मे, गुजरात में, राजस्थान, मध्यप्रदेश कि जमीन चंदन खेती के लीये बहोत अच्छी साबित होगी।
 इसके अलावा यह इंडोनेशिया, मलेशिया केहिस्सों, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी पाया जाता है। चंदन परजीवी वृक्ष है। इस पौधे की जड़ें हॉस्टोरिया के सहारे दूसरे पेड़ों की जड़ों से जुड़कर भोजन, पानी और खनिज पाती रहती है । चंदन के परपोषकों में नागफनी, नीम, सिरीस, अमलतास, हरड़ आदि पेड़ों की जड़ें मुख्य हैं। चंदन के आसपास अरहर की खेती हो रही है. चंदन से दूसरी फसलों पर कीटों का असर कम व पैदावार अच्छी होती है.

भूमि :

चंदन वृक्ष मुख्य रूप से काली लाल दोमट मिट्टी, रूपांतरित चट्टानों में ऊगता है। खनिज और नमी युक्त मिट्टी में इसका विकास कम होता है। उथले,चट्रटानी मैदान पथरीली बजरी मिट्टी, चूनेदार मिट्टी सहन करते है।कम खनिज युक्त मिट्टी में चंदन तेल की उपज बेहतर होती है।
समुद्र सतह से 600 से 1200 मीटर की ऊँचाई पर अच्छा पनपता है। किसीभी प्रकार के जलजमाव को यह वृक्ष सहन नहीं करता है। चंदन 5 से 50 सेल्सीयस(Celsius) तापमान मे भी आता है। 7 से लेकर 8.5 पीएच मिट्टी की किस्म में उगाया जा सकता है। 60 से 160 से.मी के बीच वाले वर्षा क्षेत्र चंदन के लिए महत्वपूर्ण होते है। इसे दलदल जमीन पर नहीं उगाया जा सकता है।

भूमि की तैयारी :

ऊचीत जल की व्यवस्था हो तो साल मे कभी भी लगा सकते है। पेड लगानेसे पहले गहरी जुताई की आवश्यकता होती है। 2-3 बार जोतकर मिट्टी क्षमता को बढ़ाया जाता है। 2x2x2 फिट का गढ्ढा बनाकर ऊसे सुखने दिया जाता है। मुरखाद कंपोस्ट खाद का ईस्तेमाल किया जा सकता है। 10x10 फिट के दुरीपर पेड लगाये 1 एकड 435 पेड आते है।

खाद एवं सिंचाई प्रबंधन :

इसे अधिक उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है। शुरुवाती दिनो मे फसल वृद्धि के दौरान खाद की आवश्यकता होती है। मानसून में वृक्ष तेजी से बढ़ते है पर गर्मियों में सिंचाई की जरुरत होती है। ड्रिप विधि से सिंचाई को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सिंचाई मिट्टी में नमी धारण करने की क्षमता और मौसम पर निर्भर करती है। शुरुवाती दिनोमे मानसून के बाद दिसम्बर से मई तक सिंचाई करे ।

कटाई (Harvesting)तुडाई,फसल कटाई का समय :

चंदन की जड़े भी सुगंधित होती है। इसलिए वृक्ष को जड़ से उखाडा जाता है न कि काटाजाताहै। चौथे साल से रसदार लकड़ी बनना शुरु होती है। चंदन की लकडी मे दो भाग होते है रसदार लकड़ी(Hart wood) और सूखी लकड़ी(Dry wood) दोनो की किमत अलग – अलग होती है। जब वृक्ष लगभग 12 - 15 साल पुराना हो जाता है तब लकड़ी प्राप्त होती है और पेड के जीवनपर्यन्त तक प्राप्त होती रहती है। जड़ से उखाडने के बाद पेड़ को टुकड़ो में काटा जाता है और डिपो में रसदार लकड़ी(Hart wood) को अलग किया जाता है।

चंदन खेती का अर्थशात्र :

चंदन धिरे धिरे बढनेवाला पेड है, लेकिन समुचित जल प्रबन्धन करने पर जैसे ठिंबक सिंचन ईस्तेमाल कर हर साल पेड के तने का घेरा 12 से.मी. से बढा सकते है। 12 से 15 साल बाद ऊस  चंदन के पेड से 15 से 25 कीलो (Hart wood) मिल सकता है। आज (Hart wood) का मार्केट रेट प्रती कीलो रु.6000 से 12000 है।

 12-15 साल बाद का रु. 7000 रेट भी मानते है। और रसदारलकड़ी (Hart wood) 15 किलो भी मिलता हो तो 1 पेड से रु. 1,05,000 मिल सकते है,

100 पेड़ कटिंग के समय में मर गया, विकास नहीं हुआ मानकर चलते हैं

अब 1 एकड से पेड 335 x 1,05,000 = रु. 3,51,75000/- (तीन करोड़ एकावन लाख पींचोतेर हजार रुपये )  प्रती एकड केवल रसदार लकड़ी (Hart wood) से मिल सकता है।

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